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पूरनचंद फाउन्डेशन पूर्व मंत्री अथवा स्वतंत्रता सेनानी पूरनचंद जी जो गरिबों के मसिहा थे । उनसे प्रेरणा पाकर इस सामाजिक संस्था को स्थापित किया गया है । डाल्टनगंज विधानसभा की जनता उनकी सादगी की कायल थी । जनता उन्हें घसिटे का कोठा , धर्मशाले का लोटा वा पिंकु का ओटा के रुप में जानती थी । पूरनचंद जी लगातार चार बार ( 1967, 1969,1972,1977 ) डाल्टनगंज विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया । उनके कृतित्व को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता है ।

पूरन चंद का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को 1925 में हुआ था । वो 14 साल की उम्र में में ही गांधी जी से प्रेरित होकर देश की आजादी के लिए समर्पित हो गए । आजादी की लंबाई में 31 अगस्त 1942 में पूरन चंद जब जेल गए थे तब उनकी उम्र 17 साल से भी कम थी । 29 जुन 1975 में इमरजेंसी में जब वो जेल गए तो उनकी उम्र 50 साल को छुने वाली थी ।

आजादी से पहले विदेशी शत्ता से और आजादी के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली इंदिरा गांधी की सत्ता से पूरन चंद जी की जितनी उग्रता अंग्रेजों के नितियों के खिलाफ थी उतनी ही उग्रता कांग्रेस की नितियों के खिलाफ थी ।

पूरन चंद की जनता के बिच ऐसी पकड़ बना चुकी थी की लोग ' दीदा तोर फटे थे कांग्रेसिया , वोटवा पूरन चंद के जाए ' की तर्ज पर गीत गाते थे और पूरन नहीं ये आंधी है छोटा नागपुर के गांधी के नाम से जाना जाने लगा ।

अंग्रेजी शासन से लेकर कांग्रेस शासन तक अनगिनत बार जेल गए , इसे अपना दुसरा घर मानते थे और कहते थे कि उनका एक पैर हरदम जेल में ही रहता था और डाल्टनगंज जेल का वार्ड नं . छह उनका स्थाही ठिकाना था । पूरन चंद लोहिया जी के व्यक्तित्व से अति प्राभावित थे । इसका अंदाज़ उनके इन कार्यों से लगाया जा सकता है जैसे :- संघर्षशील, जमिनी स्तर से लोगों से जुड़े रहना और दृढ़ निश्चय। पूरन चंद जी 1977 में कर्पूरी ठाकुर मंत्री मंडल में खान मंत्री थे ।

अंग्रेजी शासन से लेकर कांग्रेस शासन तक अनगिनत बार जेल गए , इसे अपना दुसरा घर मानते थे और कहते थे कि उनका एक पैर हरदम जेल में ही रहता था और डाल्टनगंज जेल का वार्ड नं . छह उनका स्थाही ठिकाना था । पूरन चंद लोहिया जी के व्यक्तित्व से अति प्राभावित थे । इसका अंदाज़ उनके इन कार्यों से लगाया जा सकता है जैसे :- संघर्षशील, जमिनी स्तर से लोगों से जुड़े रहना और दृढ़ निश्चय। पूरन चंद जी 1977 में कर्पूरी ठाकुर मंत्री मंडल में खान मंत्री थे ।

30 जुलाई 2001 को समाजवादी आंदोलन के इस महान योद्धा ने आखिरी सांस ली ।

History

पूरनचंद फाउन्डेशन की नींव उनके भतीजे महेश प्रसाद ने 2001 में रखा और 2021 में पचकिरित कराया गया ।

पूरनचंद गरिबों के मसिहा थे , उनके कार्यों से प्रेरित होकर महेश प्रसाद इस संस्था को ऊंचाइयों तक पहुंचा रहे हैं । इस संस्था का मुख्य उद्देश्य हर वर्ग के लोगों की मदद करना और समाज में उन्हें एक स्थान दिलाना है ।

इस संस्था को रथापित करने का उद्देश्य यही था कि ये डाल्टनगंज विधानसभा में सिमित ना रहे बल्कि दुनिया के हर कोने में जहां बहुत से लोग जो गरिब है जिनके पास ना रहने को घर और ना ही खाने को खाना नसिब नहीं होता है उनकी सहायता कर सकें । हमारे यहां आज भी बच्चे अशिक्षित रहते हैं उन बच्चों को शिक्षा देने के लिए कई विद्यालय भी स्थापित है । इस संस्था ने गरिबों के हीत में हर प्रकार से सहायता करती है और आगे भी करते रहेगी ।।

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